लेखनी कविता -दोस्त ! मैं देख चुका ताजमहल ...वापस चल

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दोस्त ! मैं देख चुका ताजमहल ...वापस चल मरमरीं-मरमरीं फूलों से उबलता हीरा चाँद की आँच में दहके हुए सीमीं मीनार ज़ेहन-ए-शाएर से ये करता हुआ चश्मक पैहम एक मलिका का ...

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